Friday, 20 June 2014

Ankit: The Author of Atrocities


राष्ट्र से कम नहीं होता राष्ट्र गान 
                                                                                   
                                                                                                        - अंकित झा

जब तक मनुष्य में समर्पण की भावना नहीं आएगी, वो विकास का हिस्सेदार बन ही नहीं सकता. किसी भी मनुष्य में देशभक्ति जगाने के लिए सबसे महत्वपूर्ण होता है, उसे देश की महिमा सुनाई जाए, जिस पर उसे गर्व हो.

सप्त–कोटि-कंठ कल-कल-निनाद-कराले

सप्त–कोटि-भुजैघृत-खरकरवाले

अबला केन माँ एत बले।

बहुबलधारिणीम् नमामि तारिणीम्

रिपुदलवारिणीम् मातरम् ।।
                                                                                                  - राष्ट्रगीत से

गुरुवार को मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान हरदा आये हुए थे, कई वर्षों के बाद पुनः उन्हें करीब से सुनने का अवसर मिला. इस समय वो देश के सबसे प्रभावशाली व्यक्तियों में से एक हैं, उनका यह कहना मात्र उनके प्रभाव को दोगुना कर देता है कि जब जैत गाँव में पैदा हुआ एक किसान का बेटा लगन से किसी प्रदेश का मुख्यमंत्री बन सकता है तो बड़े स्कूल और नामी कॉलेज में पढने वाला कोई सामान्य विद्यार्थी क्यों नहीं कुछ कर सकता. शिवराज सिंह चौहान के व्यक्तित्व की सबसे विलक्षण विशेषता है उनका अपनी श्रोताओं के साथ अपनापन, वो किसी भी सभा में, माता-बहनों-भांजे तथा भांजी कह कर ही संबोधित करते हैं, तथा स्वयं को मामा व भैया कहकर उस अपनापन का विश्वास दिलाते हैं कि सुननेवाला भी एक बार को गर्व महसूस करने लगता है. भारतीय संस्कृति के मूल से जन्मे वक्ता सदा ही इस अपनेपन को ही अपने वक्तव्य व संबोधन का हिस्सा बनाते रहे हैं, फिर वो शिकागो में स्वामी विवेकानंद का प्रसिद्ध संभाषण को जिसकी शुरुआत उन्होंने अमेरिकी भाइयों तथा बहनों का कर संबोधित किया था, व तालियों की गडगडाहट से समूचा समां बंध गया था, या फिर प्रधानमंत्री नेहरु का संसद में दिया भाषण जिसमें उन्होंने भाइयों तथा बहनों का प्रयोग किया था. बाबा रामदेव के भाषणों में भी माता-बहन काफी सामान्य रहता है, प्रसिद्ध वामपंथी नेता अपने सहयोगियों को कामरेड कहकर बुलाते थें, जिसका हिंदी में अर्थ साथी होता है. संबोधन एक कला है, नवनिर्वाचित प्रधानमंत्री का संबोधन कला भी अद्भुत है तथा वे मित्रों इस आवेश में कहते हैं जैसे  कोई सच्चा मित्र बुला रहा हो. खैर, श्री चौहान के संभाषण में उनकी पुराणी मुखरता ही झलकी और उनकी तत्परता भी स्पष्ट रूप से दिख रही थी. काफी कम नेता ज़मीन से पैदा होके, ज़मीन पे टिक पाते हैं, और जो टिक पाते हैं, उन्हीं का ज़मीन भी टिक पाता है. स्व. गोपीनाथ मुंडे भी ऐसे ही सहज नेता थे, पैरों के नीचे आनेवाले धुल की भी उन्हें कीमत पता थी. शिवराज सिंह चौहान ने कई बातें की, कुछ उनके पुराने भाषणों की ही रिकॉर्डिंग लगी तो कुछ उनका समर्पण परन्तु जो एक बात सबसे अद्भुत लगी वो थी उनका मध्यप्रदेश गीत के प्रति समर्पण. उन्हें ये गान इतना प्रिय है कि कार्यक्रम के प्रारंभ में जब मध्यप्रदेश गीत बज रहा था, वो उसे गुनगुनाते भी दिखे. अपने भाषण में भी वो अपने इस कदम का उल्लेख करते दिखे कि उन्होंने किस तत्परता के साथ ये गीत रचवाया.

जब मध्य प्रदेश का गठन हुआ तो कई संस्कृतियों को एक साथ जोड़ा गया. उत्तर में बुंदेलखंड जुड़ गया, उत्तर पूर्व में चित्रकूट व सतना, कहीं भोपाल प्रोविंस तो थोडा हिस्सा विदर्भ का, सभी हिस्सों को जोड़कर मध्यप्रदेश की नींव रखी गयी. 2001 तक मध्यप्रदेश क्षेत्रफल की दृष्टि से देश सबसे बड़ा राज्य था, छत्तीसगढ़ के अलग होने के बाद उसकी स्थिति अब राजस्थान के बाद दुसरे पायदान पर है. परन्तु सांस्कृतिक रूप से यह उत्तर प्रदेश के पश्चात सबसे वृहद्द राज्य कहा जा सकता है, या फिर उत्तर प्रदेश से भी वृहद्द कहा जा सकता है. नीमच व छिंदवाडा तथा सतना व बुरहानपुर में कोई समानता नहीं दिखती तथा इसी तरह मुरैना व हरदा के भाषा भी एक दुसरे से पूर्णतया भिन्न है, झाबुआ व खंडवा के वेश-भूषा में समानता की बात भी बेमानी है, अतः संस्कृति के मामले में सूबे के 50 जिले अलग हैं. किसी भी राज्य में विकास तथा परस्पर सहयोग हेतु एकीकृत की भावना जगाना बेहद आवश्यक है. जब तक मनुष्य में ज़मीन के प्रति प्रेम का आभास नहीं होगा, सम्मान नहीं आएगा, गर्व नहीं आएगा, वो उसके प्रति समर्पित कैसे हो सकता है? जब तक मनुष्य में समर्पण की भावना नहीं आएगी, वो विकास का हिस्सेदार बन ही नहीं सकता. किसी भी मनुष्य में देशभक्ति जगाने के लिए सबसे महत्वपूर्ण होता है, उसे देश की महिमा सुनाई जाए, जिस पर उसे गर्व हो. जैसे, भारत का राष्ट्रगान में, पंजाब, सिंध, गुजरात, मराठा, द्रविड़, उत्कल, बंग कहकर भारत की विविधता को दर्शाया गया है. और कहा गया है- तव शुभ नामे जागे, तव शुभ आशीष मांगे, गाहे सब जयगाथा. अर्थात् किसी देश की जयगाथा राष्ट्र के लोगों के हृदय में गूंजनी चाहिए. किसी भी राष्ट्र के नाम में उसके लोगों की पहचान छुपी होती है, जब भी आवश्यकता पड़े देश के लिए न सही परन्तु अपने पहचान की रक्षा के लिए वो मर मिटने को भी तैयार हो जाता है. किसी भी राष्ट्र की भाषा उसके लोगों के मुख से निकलने वाले मन्त्र की तरह होता है, जिसके प्रति उसके ह्रदय में सम्मान तथा मन में आशाएं रहती हैं. जब उसके राष्ट्र की भाषा में उसके राष्ट्र का नाम किसी गीत की तरह सुनाया जाए, तो अवश्य ही वो अतिप्रभावशाली हो जाता है. वीरों की शहादत के किस्से सदा से ही उनके वंशजों के ह्रदय में उत्साह भरते आये हैं, ठीक उसी तरह देश के महापुरुषों की वीरगाथा देश के लोगों में उत्साह का संचार करती है.

भारत का इंडिया बनाना जितना आश्चर्यचकित है उतना ही आश्चर्यचकित देश का अंग्रेज़ी प्रेम है, न छूटता है और न ही टूटता है. न जाने ये रिश्ता क्या कहलाता है? हिंद की धरा पर हिंदी से घृणा असमंजस में डालता है, सोंचना होगा. वैसे शानदार ढ़ंग से लिखा गया है मध्यप्रदेश गान- शुभ का दाता, सुख का साथी, शुभ का ये सन्देश है, माँ कि गोद पिता का आश्रय अपना मध्य प्रदेश है.

Ankit Jha
(Student, University of Delhi)
9716762839
ankitjha891@gmail.com

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