ग्रामीण भारत अपने आप
में एक अनूठी संस्कृति है. यहाँ हरे भरे खेत खलिहान और शांत वातावरण का एक मिला
जुला संगम देखने को मिलता है. किसान की पीठ पर मोती जैसा पसीना और उसके मन में एक
खुशहाल कल का सपना, यही तो पहचान है हमारे ग्रामीण समाज की. एक ऐसा समाज जहाँ हर
कोई एक है और हर किसी के अंदर कुछ कर दिखाने की ललक है. लेकिन इस समाज में पल रहे इन
अनगिनत सपनों का साकार होना कोई आज-कल की प्रक्रिया नहीं हो सकती. यह सारे सपने
तभी पूरे हो सकते हैं जब ग्रामीण क्षेत्र का हर कोना सूचना और संचार के द्वारा
जागरूक हो. और ये काम बिना किसी क्रान्ति के नहीं हो सकती. लेकिन पिछले कुछ दशक से
एक बदलाव आया है जिसने एक ऐसी ही क्रान्ति को लाने का वादा किया है. इस बदलाव का
कारन है न्यू मीडिया. जनसंचार के युग में आई इस नयी तकनीकी वृद्धि ने सूचना पाने
के कई ऐसे संसाधनों को जन्म दिया जिन्होंने ग्रामीण समाज के विकास में एहम भूमिका
निभाई है. न्यू मीडिया में इन्टरनेट और पॉडकास्ट जैसी तकनीक शामिल है जिसने की
संचार की दुनिया को एक अभूतपूर्व स्वतंत्रा और खुलापन प्रदान किया.
न्यू मीडिया जनसंचार के क्षेत्र की एक ऐसी उपज है जिसमे
ज्ञान का प्रवाह दोनों दिशाओं में होता है. मतलब की हम किसी को ज्ञान दे सकते हैं
और ठीक उसी समय उस व्यक्ति से ज्ञान ले भी सकते है. इसीलिए इसे जनसंचार के युग का
इंटरैक्टिव माध्यम भी कहा जाता है. इन्टरनेट न्यू मीडिया की रीढ़ की हड्डी है और
इसके आने के बाद जनसंचार जगत में कई ऐसे आविष्कार हुए जिसकी वजह से न्यू मीडिया
दुनिया भर में हावी हो गया और आज गाँव देहात के विकास में अपनी भूमिका निभा रहा
है. वहीँ दूसरी और पॉडकास्ट जैसी तकनीक के द्वारा दूर दराज़ के लोग किसी बभी विषय
के ऊपर ऑडियो लेक्चर सुन सकते हैं. ये ज्ञान के क्षेत्र में क्रान्ति ही तो है के
ग्रामीण क्षेत्र में बसे नागरिक अब देश विदेश के विश्वविद्यालयों में हो रहे
लेक्चर को अपने घर पर पॉडकास्ट की मदद से सुन सकते हैं. बस जरूरत है एक इन्टरनेट
कनेक्शन की ज्सिकी उपलब्धि के लिए सरकार जोर शोर से काम कर रही है और आज लगभग हर
गाँव में बिजली के खम्भे और मोबाइल के टावर पहुँच गए हैं. इसी न्यू मीडिया के कारण
ब्राज़ील और साउथ अफ्रीका के कई देशों के ग्रेन समाज में विकास की नयी लहर दौड़ उठी.
ये दोनों राष्ट्र पोटेंशियल इकनोमिक पॉवर के रूप में जाने जाते हैं. कुछ ऐसी ही
तस्वीर हमारे देश की भी बना सकता है ये न्यू मीडिया.
भारत के ग्रामीण विकास को चार भागों में बांटा जाए तो हम
देखेंगे की न्यू मीडिया ने लगभग हर भाग में अपना अमूल्य योगदान दिया है. विकास के
चार भाग निम्न है; १) मानसिक विकास, २) दार्शिनिक विकास, ३) आर्थिक विकास, ४)
राजनैतिक विकास. ग्रामीण खेत्रों में इन्टरनेट, ऑनलाइन लेक्चर, मोबाइल और पॉडकास्ट
जैसी तकनीकों के आने के बाद सबसे पहले मानसिक विकास ने अपनी जगह ली. हम देख सकते
हैं की चूंकि ये जनसंचार के माध्यम एक स्वतंत्र और मुक्त विचारधारा को प्रेरित
करते हैं इसलिए इनके पास आने पर ग्रामीण विकास में भी एक ऐसी ही विचारधारा का
प्रवाह होना शुरू हो गया. इसी मानसिक विकास ने ग्रामीण इलाकों में दार्शनिक विकास
को जन्म दिया. देखा गया है की जिन ग्रामीण इलाकों में न्यू मडिया का प्रयोग होने
लगा है वहां के लोगों में चीज़ों को देखने और समझने का नजरिया ही बदल गया है.
ब्राज़ील, साउथ अफ्रीका, अर्जेंटीना और बुहत से उन्नतशील देशों के ग्रामीण इलाकों
में लोगों ने न्यू मीडिया का प्रयोग ना केवल कृषि में बल्कि अपने जीवन के हर छोटे
बड़े कामों में करना शुरू कर दिया है. इन सभी देशों के ग्रामीण समाज ने न्यू मीडिया
की मदद से खेती और उससे ताल्लुक रखने वाले और सभी कामों में अभूतपूर्व उन्नति
दिखाई है. ठीक इसी तर्ज पर भारत में भी किसान और आदि ग्रामीण अब न्यू मीडिया के
सहारे उन्नति और विकास के पथ पर अग्रसर हो उठे हैं. मौसम की स्थिति और कृषि से
सम्बंधित सभी जानकारी वे घर बैठे अपने लैपटॉप या मोबाइल पर पा लेते हैं. इससे उनके
धन और समय की बचत होती है जिसे वे किसी और उत्पादक काम पे खर्च कर सकते हैं. इन्ही
साड़ी चीज़ों से उनकी आर्थिक स्तिथी में भी बदलाव आता है. कई लातिनी अमेरिकी और
उत्तर अमेरिकी देशों के किसान और ग्रामीण जनता ने इसी न्यू मीडिया की बदौलत खेती
और हॉर्टिकल्चर में आपार उन्नति की है
जिससे उनकी ग्रामीण अर्थव्यवस्था सशक्त हुई है. भारत में भी कुछ ऐसा ही देखने को
मिला है. अब किसान और उसका बेटा दोनों ही इस जनसंचार के माध्यम से जुड़ कर अपना
अपना विकास कर रहे हैं जो आगे जाकर उनके आर्थिक विकास को जन्म देता है.
चीन और रूस में भी न्यू मीडिया ने जो योगदान दिया है उसी का
मॉडल आज भारत अपनाना चाह रहा है और इस बात में कोई संदेह नहीं की इस ओर हम बड़ी तेज़ी से अग्रसर हैं. आज
इसी इन्टरनेट के द्वारा गाँव में पड़ने वाला विद्यार्थी कम्प्यूटर के एक क्लिक से
पता लगा सकता है की अमेरिका या सीरिया में क्या चल रहा है. अगले क्लिक से वो अपने
विषय सम्बंधित किसी ऑडियो-विडियो लेक्चर को डाउनलोड कर अपने पाठ को समझ सकता है.
दूसरी और वो किसान अब अपने मोबाइल के द्वारा भी इन्टरनेट तक पहुँच सकता है और वहां
से अपनी खेतीबाड़ी सम्बंधित सूचनाएं प्राप्त कर सकता है. जो काम पहले ग्रामीण समाज
के लिए कठिन एवं दुर्गम हुआ करते थे आज वे सारे काम न्यू मीडिया की बदौलत आसान और
काफी मज़ेदार हो गए हैं. इन्टरनेट बैंकिंग और रेलवे टिकेट की सुविधा को देख कर भी
कुछ ऐसा ही लगता है.
न्यू मीडिया ने आगे आकर सोशल मीडिया को भी सशक्त किया है
जिसके द्वारा ग्रामीण विकास के राजनैतिक पहलू को काफी जोर मिला है. सोशल मीडिया
जैसे की ट्विटरया फेसबुक के ज़रिये गाँव का नागरिक ना केवल जानकारी पा सकता है
बल्कि अपने आप को देश से जुड़ा हुआ भी महसूस कर सकता है. इन्ही सोशल मीडिया टूल के
जरिये वो अपनी बात समाज में व्यक्त भी कर सकता है. हम ये कह सकते हैं की न्यू
मीडिया ने ग्रामीण समाज में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को नया आयाम दिया है और
लोकतंत्र में ये सबसे ज्यादा अहम् भी होता है की नागरिक अपनी बात को मुक्त हो कर
व्यक्त कर सकें. यही न्यू मीडिया थी जिसने मिस्र और अरब देशों की ग्रामीण जनता
को शेहरी जनता से एक किया और तानाशाही के खिलाफ एक मुहीम के लिए प्रेरित किया. यही
मुहीम एक क्रान्ति में तब्दील हो गयी जिसे हम अरब स्प्रिंग के नाम से भी जानते है.
कुछ ऐसा ही प्रभाव है इस न्यू मीडिया का जो दूर दराज़ के लोगों को अपने समाज से
जोड़ती है. भारत में भी यही न्यू मीडिया ग्रामीण इलाकों के अंदर राजनैतिक विकास को
बढ़ावा दे रही है जो की किसी देश के अभूतपूर्व विकास का संकेत हो सकता है.
कुल मिला कर यदि हम देखें तो पायेंगे की न्यू मीडिया के आने
से ना केवल शहर बल्कि गाँव में भी एक बदलाव की लहर देखि जा रही है. चूंकि हमारे
देश की अधिकतर आबादी आज भी इन्ही गाँव में रहती है तो हम न्यू मीडिया की अहम्
भूमिका को नज़रंदाज़ नहीं कर सकते. हम गाँव में हो रहे मानसिक, दार्शनिक, आर्थिक और
राजनैतिक विकास की जननी, न्यू मीडिया को अनदेखा नहीं कर सकते. पर हमें अभी बड़ी दूर जाना है. हमें इस बात पर जोर देना होगा की हर गाँव इन्टरनेट और मोबाइल
टेक्नोलॉजी के करीब आये जो की न्यू मीडिया के सबसे बड़े प्लेटफार्म हैं. जब इस तरह
का ढांचा हम हर गाँव में तैयार कर देंगे तब हमें इस देश के विकास में ग्रामीण समाज
का वो योगदान देखें को मिलेगा जो ब्राज़ील, साउथ अफ्रीका और अर्जेंटीना जैसे देशों
में देखने को मिला.
-Vishank Singh
(Student, University Of Delhi)
Contact- 9654751123
E-mail- vishanksingh1@gmail.com
-Vishank Singh
(Student, University Of Delhi)
Contact- 9654751123
E-mail- vishanksingh1@gmail.com
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